सुन्दर स्वच्छ बनेगा भारत (ताटंक छंद)
सबसे आगे भारत अपना,
सपना सच हो जाएगा
तन मन धन से भारतवासी ,
जब आगे बढ़ जाएगा।
अलगअलग आलाप छोड़कर,
मिलकर सुर में गायेगा ।
गाँव नगर हर शहर शहर से,
भ्र्ष्टाचार मिटाएगा।
हरियाली की चाहत लेकर,
जन जन पेड़ लगाएगा।
बेटा बेटी एक बराबर ,
यही सोच अपनाएगा।
सुंदर स्वच्छ बनेगा भारत ,ऐसा शुभ दिन आएगा
फिर देखो भारत दुनिया को,सबसे ज्यादा भायेगा।।
एक अकेला थक जाएगा ,
साथी साथ निभाएगा।
मन में उज्ज्वल भावों का जब,
कोई बीज उगाएगा।
सोई सत्ता को मिलकर के,
सारा देश जगायेगा।
निर्धनता भुखमरी दुखों से,
पीछा तभी छुड़ाएगा।
बन्द तिजोरी से धन सबका,
बाहर कोई लाएगा।
नेताओं का सब घोटाला,
दरिया में बह जाएगा।
सुंदर स्वच्छ बनेगा भारत, ऐसा शुभ दिन आएगा
फिर देखो भारत दुनिया को सबसे ज्यादा भायेगा।।
जैसी सोच हमारी होगी,
देश वही बन जायेगा।
सुंदर सपना है जो अपना,
तब ही सच हो पायेगा।
लालच की गंदी गलियों से,
धन बटोर नहि लाएगा।
शुद्ध कमाई जो भी होगी,
उसको मिलकर खायेगा।
नारी के प्रति बुरी नजर से,
नर ऊपर उठ जाएगा
सुंदर स्वच्छ बनेगा भारत, ऐसा शुभ दिन आएगा।
फिर देखो भारत दुनिया को सबसे ज्यादा भायेगा।।
सुचिता अग्रवाल”सुचिसंदीप”
तिनसुकिया, असम