ये चालिस का दौर है
उम्र हम पर
हावी नहीं हो सकती
क्योंकि ये चालिस का दौर है
बालों की हल्की सफैदी
छिपा लेगें कानों के पीछे ही
हर शौक को जिन्दा रखेंगे
हर मात को दगा देगें
जिन्दगी की शतरंज की बिसात पर ।
ये चालिस का दौर है
खुमारी है नयी नयी
दादी ,नानी बनने की चाह भी
न अब मेकअप की चाह
न ब्रेकअप का डर है
ये चालिस का दौर है
बनते थे शेर जो मियांजी
अब घिरयातें है
आगे पीछे डोलकर
अपना प्रेम जताते है
ये चालिस का दौर है
बस हम
खुद ही खिलखिलाते है ।
अल्पना हर्ष