मातृभूमि
मातृभूमि के लिये नित्य ही,
अभय हो जीवन दे दूंगा ।
तन ,मन , धन निस्वार्थ भाव,
सर्वस्व समर्पित कर दूंगा।
जिस मातृभूमि में जन्म लिया है,
जिसके अंक नित खेल हूँ।
शिवा जी दधीचि की मिट्टी का
मत भूलो मैं चेला हूँ।
जहाँ आदिकाल से वीरों ने
गिन- गिन कर शीश चढा़ये है।
वीर शिवाजी, महाराणा ने,
जीवन दांव पर लगाये है।
जिस मातृभूमि को देख व्यथित,
हर मानव शोला बना सदा।
अत़्याचार उन्मूलन के लिए ,
हर तन बम गोला बना सदा।
जहाँ कर्मवती लक्ष्मी बाई ने,
भारी धूम मचाई है ।
उसी देश का अंजल खाकर,
मैंने शिक्षा यहां पाई है।
मातृ भूमि तो अग्र खडी़,
प्रस्तुत पृष्ठ यह निज जीवन।
जन्मभूमि पर मुझको गौरव,
न्यौछावर कर दूं यह जीवन ।
— कालिका प्रसाद सेमवाल