कविता

मजदूर की जिंदगी

जीवन के दो चार पल
कटते नहीं आराम से
उसे चंद पैसों के लिये
फुरसत न मिलती काम से

रात दिन मेहनत के बल पर
आज उसमें जान है
मजदूरों की जिंदगी की
इक यही पहचान है

काम में आगे वो रहते
पीछे होते हैं दाम से
जीवन के दो चार पल
कटते नहीं आराम से

हर तरफ प्रतियोगिता
अब कौन दे इनको सहारा
जेबे भरने के लिये
मजदूर को सबने ही मारा

क्यों सजा मिलती है इनको
सिक्कों की आवाम से
जीवन के दो चार पल
कटते नहीं आराम से

(ओम नारायण कर्णधार)

ओम नारायण कर्णधार

पिता - श्री सौखी लाल पता - ग्राम केवटरा , पोस्ट पतारा जिला - हमीरपुर , उत्तर प्रदेश पिन - 210505 मो. 7490877265 ईमेल - [email protected]