कविता

याददाश्त

सुना है कुछ लोग
खोज रहे है,
याद रखने के तरीके।
सुना है कुछ लोग
खोज रहे है,
भूलने के तरीके।।

और हमें न फिक्र है
भूलने व याद रखने की।
बस हम तो
समझने में लगे है
याददाश्त की परतों को।।

चारों ओर एक काला सा बक्सा
जो सहेज लेता है
चारों ओर विस्तारित
ऊर्जा पिंडों को।
भेज देता है अंदर तक उन्हें।
बने हुए है छाया चित्र
उभरी है आकृतियां
तह पर।।

परत दर परत
जमता जाता है।
सब कुछ
एक कोने में,
जब हम समझने लगते है
सब कुछ विस्मृत हो चुका है।
किसी उद्दीपन द्वारा,
उद्दीप्त कर,
बाहर लाया जाता है विचार,
जो अब तक मृत था।
या फिर मान लिया गया था
मृत या फिर विस्मृत।।

बूंद बूंद याददाश्त
क्रम क्रम
स्थान पाती
अनन्त विक्रम गुण युक्त मस्तिष्क में।।

कुशाग्र जैन
19 नवम्बर 2018

कुशाग्र जैन

व्याख्याता चित्रकला रा उ मा वि सलुम्बर जिला - उदयपुर(राजस्थान ) पता - बागीदौरा, जिला बांसवाड़ा(राजस्थान) मो. – 07597516346 Email – [email protected] पेशे से शिक्षक, चित्रकार और उनकी रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित