मानवता के भाव
जगाओ हृदय में मानवता के भाव
जीवन में फैल जायेगा
मनोहर स्वर्णिम उजाला
छलकेगा आनंद का अमृत प्याला|
मिटाकर स्वार्थ अपना-अपना
जीवन में सच्चा श्रृंगार रचा लो
मिलेगा ईश्वरीय उपहार
तुम करो हर प्राणी से प्यार|
पवित्र हो अाचार-विचार
जन-जन देगा सम्मान
रक्तपात-हिंसा बुरी बला
चलो अहिंसापथ होगा भला|
मानव हो मानव बनकर रहो ‘कुमार’
करो निर्माण सभ्य समाज
तब होगा सच्चा विकास
जब हर जन को होगा विश्वास|
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा