आनलाइन तकरार श्रीमान श्रीमती की
“क्या है, क्या ताकझांक कर रहे हो मेरे मोबाइल में, आपके पास भी है न मोबाइल तो अपने में देखो जो देखना है “
“कुछ नहीं ये मैसैज की टोन बज रही थी तो देख रहा था मैसेज”
“कोई जरूरत नहीं है, खुद कर लो किसी को मैसेज और खुद की देख लो मेरे मोबाइल में तांका झांकी न करो”, पत्नी पूरे ताव में थी!
“अरे यार इतना ताव क्यों खा रही हो …क्या मैं तुम्हारा मोबाइल नहीं देख सकता”
“नहीं..कोई जरूरत नहीं है और मैं तो कहती हूँ कि तुम्हें खुद का भी मोबाइल चलाने का कोई हक नहीं है”
“तुमसे तो बात करना ही बेकार है”
पति महाशय समझ चुके थे मोबाइल को लेकर महाभारत हो सकती है…
एक समय था जब सास बहू की लड़ाई में आदमी बेचारा पिसता था और श्रीमती जी को मनाना बड़ा महंगा साबित होता था लेकिन अब सास की जगह मोबाइल ने ले ली!
“हाँ हाँ मैं तो बेकार ही हूँ….अच्छी तो वह पड़ोसन है जिसकी तस्वीर पर “दिल घायल करने वाली अदा है, मेरा दिल आप पर फिदा हो गया”बहुत खूबसूरत, दिव्य जैसे कमेंट देते हो और जो मैंने नई ड्रैस में तस्वीर लगाई व्हाट्सऐप पर उस पर तो कुछ नहीं बोले, जाओ उसी से चैट कर लो…
” अरे न, “पति महाशय ने मस्का लगाकर कहा पर बात न बनने वाली थी!
“अरे हाँ..तभी तो उसे कल पार्टी में टुकुर टुकुर देख रहे थे ..”
मुँह फुला कर दोनों एक दूसरे से मुँह फेर लिये,कुछ देर बाद मैसेज की टोन बजी देखा तो पति का वीडियो मैसेज था!
“इन्तहा हो गई मेरे यार की…. वीडियो के रिप्लाई में पत्नी ने भी वीडियो भेज दिया, “मुझे नौ लखा मंगा दे रे ओ सइंया दीवाने” ..
ये आनलाइन तकरार तो बड़ी मंहगी पड़ने वाली है इससे पहले कोई और डिमांड शुरू हो तुरन्त पति महाशय ने रिप्लाई दिया…”शुभ रात्रि”!
अब श्रीमती का दिमाग और सटक गया!
सुबह सुबह चाय का घूंट लेते ही पति महाशय ने एक नजर श्रीमती जी पर डाली, तिरछी भृकुटी में साक्षात काली रूप लग रही थी चुपचाप फीकी चाय पीने में ही भलाई समझी!
चाशनी सी चाय पीने वाले पति महाशय को कुछ दिनों तक फीकी चाय से ही मानना पड़ा!
मनाना तो आज भी महंगा साबित होना था …
श्रीमती जी अपने मोबाइल में तल्लीन, पति महाशय ने एक तस्वीर फिर भेजी, और सामने बैठी पत्नी के चेहरे को देखा!
मैसेज देख श्रीमती जी खुश हो गयीं..
आखिर नैकलेस की तस्वीर उसके मोबाइल में और नैकलेस पति के हाथ में जो था, जिसकी वह कई महीनों से डिमांड कर रही थी।
और इस तरह आनलाइन पति पत्नि का तकरार खत्म हुई…
— रजनी चतुर्वेदी