कविता

अजन्मी

महतारी मै तेरी बेटी थी
न सोचा न विचार किया
जन्म दिया था माता तूने

पलभर में ही मार दिया
रूह न कांपी बिल्कुल तेरी
ये कैसा अत्याचार किया
क्षण में ही खत्म किया रिश्तों को
मुझसे अपना दामन छाड़ लिया
क्या कर्ज था तेरी ममता पर
जो ऐसा व्यभिचार किया

आँखे भी न खोली थी मैंने

और !  तूने होते ही मार दिया
अपनी गोदी और पिता की ऊँगली का
क्यों छीन तूने अधिकार लिया

बोझ बनी क्यो होते ही मै
मन ने ना तेरे हा-हाकार किया
डॉ. माधवी कुलश्रेष्ठ

डॉ. माधवी कुलश्रेष्ठ

पिता का नाम स्व . श्री हरेंद्र पाल कुलश्रेष्ठ पति का नाम श्री अरविन्द कुलश्रेष्ठ वर्तमान पता सी -14 न्यू आगरा फोन न . 9412426559 8218644036 ;8193909436 शिक्षा . एम॰ ए एम .एड पी .एच डी . (हिन्दी ..मनोविज्ञान इतिहास और संगीत गायन ) व्यवसाय - प्रधानाचार्य काव्य कलश सम्मान , भाव-भूषण सम्मान , और भी कई शाखाओं में उच्च पदों पर रहकर समाज सेवा कर रही हूँ लेखन कार्य भी करती हूँ । साझा संकलन भी छप चुके हैो