करो गर प्रार्थना
करो गर प्रार्थना क्यों जग तुम्हारा हो नहीं सकता
इरादे नेक हो तो क्यों किनारा हो नही सकता
दिये हो जख्म अपनों ने दुखाया हो कभी दिल तो
कभी वो नर भरत का सा दुलारा हो नहीं सकता
करे कोशिश अनेको जिन्दगी में गर हमेशा ही
कभी भी शख्स ऐसा तब बिचारा हो नहीं सकता
मुहब्बत ए शिकारे जो हुआ है एक बारे ही
जला दिल आग जैसा क्यों अंगारा हो नही सकता
हमें गर आप अपना दिल कभी दे चाह कर भी तब
कसम से आपको ऐसे नकारा हो नही सकता
करे यदि खून बेटा बाप का धन के लिए ही तो
जमीं पर पाप भागी औ उतारा हो नही सकता