भाव गीत – ले लो शरण में माँ
ले लो शरण में माँ, है बेटी की कसम
प्राण चाहे ले लो, प्राण चाहे ले लो, है बेटी की कसम्ममम्म
ले लो शरण में माँ, है बेटी की कसम
तुम्हारा ही चिंतन, बस काम हो हमारा
मिले मोक्ष दुनिया से, तथास्तु हो तुम्हारा
नहीं कुछ और चाहूँ, नहीं कुछ और चाहूँ,
सुषमा की कसम्ममम्म
ले लो शरण में मां
जियूँ गर इस दुनियां में , तेरा प्यार पाऊँ,
चमकू मैं सूरज बन, शीतल चन्दा सी हो जाऊँ
दे दो सहारा मुझे, दे दो सहारा मुझे
जलूं ज्योति बन्ननन
ले लो शरण में मां……….
जीवन का कोई भरोसा नहीं है,
हर एक सांस में, तू ही रमी है।
ये तेरा मेरा बन्धन,ये तेरा मेरा बन्धन,
न टूटे है कसम्ममम्म
ले लो शरण में मां………………