कुण्डली/छंद

कुंडलिया

पाया प्रिय नवजात शिशु, अपनी माँ का साथ।
है कुदरत की देन यह, लालन-पालन हाथ।।
लालन-पालन हाथ, साथ में खुशियाँ आए।
घर-घर का उत्साह, गाय निज बछड़ा धाए।।
कह गौतम कविराय, ठुमुक जब लल्ला आया।
हरी हो गई गोद, मातु ने ममता पाया।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ