“पद”
कोयल कुहके पिय आजाओ,
साजन तुम बिन कारी रैना, डाल-पात बन छाओ।।
बोल विरह सुर गाती मैना, नाहक मत तरसाओ ।
भूल हुई क्यों कहते नाहीं, आकर के समझाओ।।
जतन करूँ कस कोरी गगरी, जल पावन भर लाओ।
सखी सहेली मारें ताना, राग इतर मत गाओ।।
बोली ननद जिठानी गोली, आ देवर धमकाओ।
बनो सुरक्षा कवच हमारो, हरियाली लहराओ।।
सुन लो अपना फर्ज निभाओ, मत झूठे इतराओ।
गौतम तुम बिन जग अँधियारा, ला सूरज दिखलाओ।।
— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी