मुक्तक
जलाते वीर हैं दीपक भगाने के लिए तामस।
चलाते गोलियाँ योद्धा जलाने के लिए तामस।
सजाते दीप की अवली दिखाने के लिए ताकत-
मगर अंधेर छुप जाती जिलाने के लिए तामस।।-1
विजय आसान कब होती बली तलवार चलती है।
फिजाओं की तपिश लेकर गली तकरार पलती है।
सुहानी रात की खातिर दिवस बरबाद होता है-
भली यह दीप की अवली कली अनुसार खिलती है।।-2
— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी