चमको तुम इस तरह
दूर गगन में टिमटिमाते तारे
जीवन में चमको तुम इस तरह
सजाते रहो अम्बर को यू ही
जीवन में दमको तुम इस तरह
हर सुबह रहे हर शाम रहे
जीवन में तेरा ही नाम रहे
तुम रोशनी से भरपूर हो
जीवन में चहको तुम इस तरह
सुबह की है वो रोशनी
सांझ की हो तुम चाँदनी
जगमगाते रहो हरदम यू ही
जीवन में दहको तुम इस तरह
मिटकर भी तुम न मिट सके
हो गये अमर तुम इस तरह
रहोगे दिलों में तुम यू ही सदा
जीवन में महकों तुम इस तरह
— डॉ माधवी कुलश्रेष्ठ