कविता

मैं मस्त फकीर

मैं मस्त फकीर
मेरा कोई नहीं ठिकाना
मुझे नहीं पता
कल कहाँ जाना ?

अपनों ने मुझे भुलाया
मैंने भी अपनों का मोह मिटाया |
छोड़ के सारा झमेला,
मैं चला अकेला ||

मान मिले या अपमान मिले
सब मन से स्वीकारूंगा
इस झूंठे संसार में रहके
धूनी कहीं रमाऊंगा?

धन-दौलत का साथ मिले
पल दो पल का
मैं सृष्टि रचईया के गुण गाऊंगा,
उसकी भक्ती में ही पागल हो जाऊंगा |

जग की चालों से बिल्कुल उलटा चलकर
राह नई बनाऊंगा
मैं निबलों-बिकलों का बनकर सहारा
मानवधर्म निभाऊंगा ||

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद, आगरा 283111,उ.प्र.

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111