कितना सच्चा है प्यार मेरा देखिए
मुझे संभालो कि मुझे गुमाँ हो गया
मैं किसी चाँद का आसमाँ हो गया
कितना सच्चा है प्यार मेरा देखिए
मैं किसी बच्चे की ज़ुबान हो गया
इश्क़ मेरा जज़बात से महरुम नहीं
मैं किसी बेघर का मकान हो गया
मेरे इश्क़ पे सियासत की छींटें नहीं
मैं होली तो कभी रमज़ान हो गया
मेरा इश्क़ गुज़र चुका है हर दौर से
मैं सदियों से खड़ा हिंदोस्ताँ हो गया
— सलिल सरोज