इच्छानुसार वस्त्र पहने किंतु देहदर्शन न झलके
पश्चिम सभ्यता का अनुशरण कई लोग करने लगे है | महिलाओं का पहनावा ऐसा हो की आधुनिक हो मगर शरीर ज्यादा ढका होना चाहिए | ढका हुआ शरीर देखने में ठीक लगकर वस्त्र की सुंदरता को बढ़ाता है | पहनावा आदर्श और प्रेरक हो|ऐसा प्रयास करने से छेड़छाड़ व् अन्य घटनाओं पर अंकुश लग सकता है | शरीर पर श्रृंगार में वस्त्र की भी भूमिका महत्वपूर्ण होती है | आधुनिक बने किंतु देहदर्शन का प्रदर्शन न होने पाए |क्योंकि ये संस्कारों और शिक्षा को देहदर्शन पीछे धकेलता है | किसी को कपडे पहनने पर मजबूर नहीं किया जा सकता है | फैशन के हिसाब से पहनावा इच्छानुसार ऐसा हो की ज्यादा ढीले या ज्यादा चुस्त न हो क्योंकि ज्यादा चुस्त पहनावे से शरीर चर्मरोग आदि का शिकार हो सकता है | कलर कॉम्बिनेशन और पारंपरिक वस्त्रों की डिजाइन ज्यादा बेहतर होते है | आधुनिक वस्त्र पहने किन्तु ऐसे हो की उनमे देहदर्शन और अश्लीलता का लांछन लोग न लगाए और फब्तियां न कसे | पश्चिम देशों की उनकी अपनी सभ्यता निर्धारित है | जो धीरे -धीरे अन्य देशो में अपने पांव पसारती जा रही है |यहाँ की संस्कृति में बदलाव लाने के प्रयत्न किए जाने की कोशिश की जा रही है |ताकि लोक संस्कृति में पश्चिम सभ्यता अपना सके| हमे चाहिए की पहनावा मर्यादा अनुरूप हो तो वो अच्छा होता है |
संजय वर्मा ‘दृष्टी ‘125 शहीद भगतसिंग मार्ग ,मनावर (धार