मेरी हथेली तेरी हथेली
सिमटती है मेरी हथेली
तेरी हथेली में, अनेकों एहसास
उन थोड़े पलों में हो जाते हैं
प्रवाहमान, बस इतनी सी ख्वाहिश
जिंदा रहती हैं, की बस ठहर जाए
ये पल, जी लूँ तुम्हें सदियों की तरह।
क्या ऐसा भी होता है???
हथेली मेंजब सिमटी हथेली
कराती है स्पर्श तेरे लम्स की
घुलती हैं सांसे तेरी सांसो में,
करती है जागृत शिराओं और
धमनियों में प्रवाहित रक्त को,
होती है गर्म मेरी देह धीरे धीरे,
बढ़ जाती है धड़कने हृदय की,
हम बढ़ जाते हैं तृप्ति की ओर
हथेली में सिमटी हथेली
कराती है एहसास
हमारे जन्मों के साथ का,
दिल दिमाग देह सब हो जाते
हैं एक , मेरी सारी इन्द्रियां
सिमट जाती है तेरे हथेली
में दबी मेरी हथेली के बीच
क्या ऐसा होता है???
कभी हुआ किसी के साथ
दोनों हथेली मिलकर करती
हैं सम्भोग, हाँ ! उत्तेजना से लेकर
तृप्त होने तक, आँखों से रिसने तक
चरम को पाने तक और फिर
फिर उसी हथेली में तिरोहित
हो जाने तक का एहसास,
खुद को खो देने और
तेरा हो जाने की ख्वाहिश
के साथ होती हैं अलग,
एक हिस्सा हर बार छूट जाता है तेरी हथेली में…..