जिजीविषा
नारी जिसे कभी अबला कहते है आज वही नारी वैज्ञानिक,इंजिनियर है। पायलट है, डाक्टर है, सैनिक है। हर क्षेत्र में सहयोगी है चारों ओर प्रगति कर रही है । सामाजिक बंधनो और मर्यादाओ की रक्षा कर रही है । फिर भी आज नारी भोग रही है अबला होने का दर्द सामाजिक प्रताड़ना का कहर कभी दहेज के नाम पर तो कभी मर्यादाओं की आड़ में इसे मानसिक प्रताड़ना सहनी पड़ती है कभी खुद ही मर जाती है और कभी मार दी जाती है । कितनी विडम्बना है कि नारी सबला होते हुए भी अबला का दर्द सह रही है क्यों है हमारी ऐसी मान्यताये यह लूट रही है अपनी कोमलता, सहजता और सरलता से नारी तुम्हे अब नहीं लुटना है आगे बढ़ना है खूब पढ़ना है नये समाज को बनाना है स्वयं जाग्रित होना है समाज को एक नई दिशा देना है नारी तुम सबला हो नारी तुम सबला हो ।
— कालिका प्रसाद सेमवाल मानस सदन अपर बाजार रूद्रप्रयाग उत्तराखण्ड 246171