लघु कथा – लक्ष्य के लिए
“रामू तुम्हारा बेटा पढ़ने में कतई नालायक है , तुम्हें कितनी बार कहा है कि यदि उसकी पढाई लिखाई पर ध्यान नहीं दे सकते तो उसका दाखिला हटा लो स्कूल से , खुद तो अनपढ़ हो ही, उसका भी जीवन नष्ट कर रहे हो” ! थक गया था रामू यह पंक्तियाँ सुनते सुनते ! आखिर करे भी तो क्या ? इतने बड़े परिवार की सारी जिम्मेदारी उसी पर तो थी ! खेती बाड़ी करता और अपने परिवार का पालन पोषण भी करता ! छोटे होते से ही घर की उलझनों में पड़ा रहा और अपनी शिक्षा कहाँ प्राप्त कर सका ? पत्नि भी पढ़ी लिखी न थी उसकी ! इस बार उसका बेटा परीक्षा में फेल हुआ और उसको स्कूल से निकालने का फरमान जारी हो गया ! रामू यह सहन न कर सका ! और उसने ठान ली कि वो खुद पढ़ेगा और अपने बेटे को भी शिक्षित करेगा !
उसने अपना काम धंधा नहीं छोड़ा, गाँव के सरपंच से रात्रि में खुले विध्यालय के बारे पता किया और दाखिला लिया ! उसकी परिश्रम और लग्न रंग लाई ! आज रामू पढ़ लिख गया है और अपने बेटे को पढाने लायक भी हो गया है ! खुद उसके बेटे के स्कूल से न्योता आता है, कि आकर प्रिंसिपल को मिले और अपने बेटे को फिर से स्कूल भेजे ! बड़े फक्र से रामू गया और बेटे को वापिस दाखिला कराया !
— डॉ सोनिया गुप्ता