जय जवान जय किसान जय विज्ञान जय अनुसंधान
गत दिनों पंजाब के जालंधर में नये भारत के निर्माण के लिये वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो नारा दिया ” जय जवान जय किसान जय विज्ञान जय अनुसंधान ” वाकई में काबिले तारीफ है क्योकि इस नारे में कहीं न कहीं हमारे देश तथा समाज का विकास झलक रहा है और इस नारे के प्रभाव से पिछड़े हुये समाज को नयी दिशा जरूर मिलेगी ।
आओ इसके बारे में अब विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं –
हमारा देश प्राचीन काल में सोने की चिडिया के नाम से विख्यात रहा है क्योकि हमारे देश में संस्कृति और सभ्यता का खजाना था , मानवता तथा अपनापन से भरा जमाना था । तभी तो दुनियां के लोग हमारे देश की तरफ मोहित हो गये और सारी संस्कृति , सभ्यता , मानवता तथा अपनापन सब लूट कर ले गये तथा हमारे देश को कंगाल कर गये वे लोग बदले में अपनी बदरंगी संस्कृति की छाप छोड़ गये जो हमे हमेशा अपनो से अलग करती रहेगी तथा भेदभाव , द्वेष भावना से हमारे सारे समाज को भी कंगाल कर रही है।
देश को आजाद होने के बाद सबसे पहली तथा बडी चुनौती हमारे सामने थी पेट के लिये भोजन कहाँ से मिलेगा क्योकि स्वतंत्रता के पहले ब्रिटिश शासको ने किसानों को खेतों में गेहूँ, चावल की बजाय व्यापारिक फसल उपजाने के लिये मजबूर करके अधिकाधिक खाद्यान्न फसलों को बंद कराकर व्यापारिक फसलें कपास इत्यादि उपजाने लगे क्योंकि उस समय ब्रिटेन तथा अन्य ब्रिटिश साम्राज्यवादी राष्ट्रों में कपड़े बनाने के लिये कपास की ही अधिक माँग थी ।
इसलिये आजादी के बाद देश में खाद्यान्न की बहुताधिक कमी थी तब तत्कालीन सरकार ने खाद्यान्न की कमी को पूरा करने के लिये किसानों को मजबूत किया साथ ही साथ फसल चक्र पद्धति मे भी बदलाव किया । 1960 से 1970 के दशक में कृषिकरण को बढावा देने के लिये अनेक फसल क्रान्तियो ने जन्म लिया तब जाकर के हमारे देश की जनता को पेट भर भोजन नसीब हुआ ।
वहीं देश की आन्तरिक तथा बाहरी सुरक्षा की सुरक्षा के लिये बहादुर सैनिकों की जरूरत होती है जो अपनी जान की परवाह न करके दूसरो की जान बचाते हैं आतंकवाद तथा नक्सलवाद कोई आज से नहीं है ये लोग प्रचीन काल से ही हैं सतयुग , त्रेता , द्वापर इन कालों मे भी आतंकवाद की जड मजबूत थी और उस समय भी इनसे सुरक्षित रहने के लिये सैनिकों की टोलियाँ तैनात होती थी जैसी आज देश के चारों तरफ सैनिकों की टोलियाँ तैनात हैं तभी तो देश की सुरक्षा होगी और देश की सारी प्रजा सुरक्षित रहेगी तथा पडोसी देशों के मेहमान हमारे देश में सुरक्षित आ सकेंगे जिनके आने से हमारे और उनके बीच व्यापारिक तथा सास्कृतिक संबंध स्थापित हो सकेंगे जो हमारे देश की जनता के विकास में बहुत ही सहायक होंगे । दुनिया का कोई भी देश यदि वहां सुरक्षा तथा उत्पादन अच्छे तरीके से हो रहा है तब उस देश की उन्नति को कोई भी नहीं रोक सकता तभी तो आज हमारा देश उन्नति के इतने ऊँचे शिखर पर आ गया है और हमेशा आगे बढता ही रहेगा । यदि हमारे देश के सैनिकों तथा किसानों को अच्छी तकनीकें तथा प्रद्योगिकी मिलती रहेंगी तब हमारा देश दुनिया के सभी देशों की सभी प्रतियोगिताओ में अव्वल ही रहेगा ।
देश को विकासशील से विकसित बनाने के लिये उत्पादन तथा सुरक्षा ही जरूरी नहीं हैं बल्कि आगे आने वाली नयी पीढ़ियों के अनुरूप हमें नयी तकनीकें की आवश्यकता होती है क्योकि स्वतंत्रता के बाद का समय पारंपरिक काल था और वर्तमान काल आधुनिकीकरण से युक्त है इसलिये इस नये युग के लिये नयी तकनीकें की आवश्यकता है और ये तकनीकें सिर्फ विग्यान तथा अनुसंधान से ही संभव है वैज्ञानिक पद्धति से किये गये सभी कार्य अनुसंधान के द्वारा ही होते है ।
“विग्यान से आशय किसी घटना या वस्तु के क्रमबद्ध तथा सुव्यवस्थित ढंग से प्राप्त किये गये सम्पूर्ण तथ्यों के साथ ग्यान ही विग्यान कहलाता है” अनुसंधान तथा विग्यान दोनों साथ साथ चलते हैं अर्थात दोनों एक सिक्के को दो पहलू हैं क्योकि एक के बिना दूसरा पूर्णतया अधूरा ही रहता है अनुसंधान तथा विग्यान की सहायता से जनकल्याणकारी नीति समय के अनुसार बनायी जा सकती हैं जो देश के विकास के लिये लाभकारी सिद्ध हो सकें जैसे जैसे समय बीतता जायेगा तकनीकें सभी जगह अपना स्थान ग्रहण करती जायेंगी आज विग्यान बहुत प्रभावशाली हो चुका है कृत्रिम उपग्रह , मोबाइल, टीवी , कम्पयूटर इत्यादि तकनीकें समाज को आधुनिक तथा विकसित बनाने के लिये अब हमेशा तत्पर हैं इन तकनीकों के द्वारा हम नये भारत की मजबूत नीव बना सकते हैं ताकि आने वाले समय तक हम अधिक से अधिक ही अपने देश का विकास कर सकें ।
तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने उस समय नया भारत के निर्माण के लिये एक नारा दिया ” जय जवान जय किसान “जो देश में उत्पादन तथा सुरक्षा का संकेत है जिसके प्रभाव से देश में खाद्यान्न तथा व्यापारिक उत्पादन कई गुना बढ़ा लेकिन अभी ये बात यहीं तक सीमित न थी बाद में जब अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने तथा उन्होंने इस नारे के साथ “जय विज्ञान ” को जोड़ा , क्योंकि उस समय देश आधुनिकीकरण की दौड़ में दौड़ रहा था और इस दौड के लिये तकनीक बहुत जरूरी थी और ये तकनीकी ग्यान विग्यान के द्वारा ही संभव था और इसप्रकार देश को विकास के पथ पर लाने वाला नारा ” जय जवान जय किसान जय विज्ञान ” के साथ विकास का पथ भी तैयार हो गया । तत्पश्चात वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने हाल ही में जालंधर में राष्ट्रीय विज्ञान कान्ग्रेस के संम्मेलन में उस नारे के साथ “जय अनुसंधान ” को जोड़ा, क्योंकि अब देश के निर्माण के लिये अनुसंधान तथा अनुसंधानकर्ताओ की आवश्यकता है जो देश के निर्माण की गति अधिक रफ्तार दे सकें ।
इसलिये आज के काल को देखते हुये देश तथा समाज के निर्माण के लिये किसान तथा जवान के साथ विग्यान तथा अनुसंधान की आवश्यकता है क्योकि हमारा देश अन्य देशों की दौड़ में शामिल हो गया है और उन देशों का मुकाबला करने के लिये हमे अच्छी तकनीक की आवश्यकता है और अच्छी तकनीक सिर्फ अनुसंधान के द्वारा ही प्राप्त हो सकती है तभी हम सब दुनिया के विकसित देशों की प्रतियोगिता में भागीदार होकर अपने आप को सफलता की चोटी तक पहुंचा सकते हैं आज देश को किसान जवान विग्यान तथा अनुसंधान इन चारों की जरूरत है तभी हम सपनों का नये भारत का निर्माण कर सकते हैं क्योंकि हमारे देश में मानव तथा प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है और अनुसंधान के माध्यम से ही इन संसाधनों का सही उपयोग कर सकते हैं जो देश के विकास के लिये बहुत ही जरूरी है ।