नया वर्ष
नये साल में नयी उमंगें
लाया हैं खुशियों की तरंगें
तुझको दिल से करूँ प्रणाम
नित नूतन सौन्दर्य की शाम
सब कोई तुझको ही बुलाये
जल्दी से तू क्यूँ न आये
कब से लेटर लिख कर रक्खा
तू ही तो सबको पहुँचाये
तेरे आने से दुख मुरझाया
फिर से होगी सुख की छाया
फिर से नया किया संकल्प
मंजिल पाना एक विकल्प
ठंडी ठंडी पवन को लेकर
सर्दी की कंपकपी संग में
सूरज की गरमी को छिपाकर
नदियों की ठंडी कल कल में
भूले बिसरे दुख सुख छोड़ो
मिलकर के नये वर्ष के संगें
नये साल की नयी उमंगें
लाया है खुशियों की तरंगें