भारतीय संस्कृति का विनाश
भारत देश की संस्कृति तथा सभ्यता का कोई मोल नहीं है क्योकि अधिकतर महान व्यक्ति भारतीय संस्कृति में ही जन्म लिया है चाहे राम की बात करें या कृष्ण की , महात्मा बुद्ध की बात करें या महावीर स्वामी, कबीर , तुलसी , रसखान इन्होंने ही यहाँ की सभ्यता को जीवित रखा है दुनिया के किसी भी कोने में चले जाओ भारत देश की जैसी सभ्यता तथा संस्कृति कहीं भी नहीं मिल सकती लेकिन जब से हमारा देश पश्चिमी दुनियां के लोगों के अधीन हुआ तभी से उन लोगों ने अपनी सभ्यता तथा संस्कृति को भारतीय संस्कृति में थोपना शुरू कर दिया था और आज भी हमारी संस्कृति में पश्चिमी सभ्यता थोपी जा रही है ।
इसका मुख्य कारण यही है आधुनिकीकरण , औद्योगीकरण तथा शहरीकरण को बढावा देना क्योंकि जब किसी भी देश मे जनसंख्या अपने उपयोगी वस्तु के सीमित साधनों के अतिरिक्त बढती जाती है तब जीवनोपयोगी साधनों की प्राप्ति के लिये औद्योगीकरण तथा शहरीकरण का सहारा लिया जाता है ताकि एक जगह से दूसरी जगह में रहकर अपने लिये जीवनोपयोगी साधनों को प्राप्त कर सके और जीवन को बनाये रखे और इसीलिये दुनियां के सभी देश एक दूसरे से जुड़े हुये हैं और एक दूसरे की सभ्यता तथा संस्कृति का आदान प्रदान कर रहे हैं यही कारण है कि हमारी अमूल्य भारतीय संस्कृति विनाश की ओर बढती चली जा रही है ।
एक समय था जब भारतवंशी महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता था तथा उनके शरीर का एक भी अंग दूसरे व्यक्तियों को नजर नहीं आता था तभी तो हमारी भारतीय संस्कृति का पूरी दुनिया में बोलबाला था महिलाओं तथा पुरुषों को बराबर अधिकार प्राप्त था अर्थात उस समय दोनों वर्ग पूर्णतया सुखी थे ।
लेकिन आज के दौर में उन्हीं महिलाओं को भोग की देवी के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि आधुनिकीकरण का दौर आने से पश्चिमी सभ्यता हमारे देश में छा गयी तथा हम भी अब पश्चिमी सभ्यता को अपनाने लगे और तभी से हमारे देश में बलात्कार तथा महिलाओं के खिलाफ हिंसा होनी शुरू हो गयी हमारे देश की महिलाये अपना पूरा तन ढकने की बजाय सिर्फ मुख्य अंग ढक रही हैं परिवार के सभी सदस्यों को एक ही नजर से देखा जा रहा है इन सभी क्रियाकलापों के द्वारा हमारी सभ्यता तथा संस्कृति नष्ट होती जा रही है जिसका परिणाम है बलात्कार की घटनाये दिनों दिन बढती जाना ।
आज देवी देवताओं तथा अपने पूर्वजों से विश्वास उठता जा रहा है प्राकृतिक परंपराए टूटती जा रहीं हैं सामाजिक संबंधों में खटास आ रही है इत्यादि अनेक कारणों से हमारी सभ्यता खोती जा रही है जिनके प्रभाव से हमारा देश आज तक इतना प्रभावशाली तथा सुसंगठित बना रहा है ।
कुछ अनुमानों के मुताबिक जिस दिन सारी सभ्यताएं तथा संस्कृति पूर्णतया नष्ट हो जायेंगी उस दिन दुनिया भी पूरी तरह स्वतः नष्ट हो जायेगी अर्थात जहाँ सभ्यता और संस्कृति है वहां सारी व्यवस्थाये जो हमारे जीवन को जीने के लिये उत्साहित करती हैं , स्वतः बनने लगती हैं ।
इसलिये हमें अपनी दुनिया को बचाने के लिये सबसे पहले अपनी संस्कृति तथा सभ्यता को जीवित रखना पडेगा और संस्कृति तथा सभ्यता को बचाने के लिये क्रमबद्ध तथा सुव्यवस्थित तरीके से ऐतिहासिक स्थितियों का पूर्ण रूप से अध्ययन करके फिर आधुनिक युग के अनुसार समाज को ढाले ताकि आधुनिकीकरण , सभ्यता और संस्कृति को नष्ट न कर सके क्योकि आज आधुनिकीकरण के परिणाम बहुत घातक सिद्ध हो रहें हैं हमारी सरकारें राजनीति रूपी धंधों के प्रभाव से आधुनिकीकरण को बढावा देकर देश की अर्थव्यवस्था को तो बढा सकती है लेकिन सामाजिक व्यवस्था ,जो सभी सामाजिक बुराइयों को अपने में समेट स्वतः नष्ट कर देती है , उसको पूर्णतया नष्ट किया जा रहा है इसलिये सरकारों को सभी नीतिगत निर्णय लेते समय सामाजिक संस्कृति तथा सभ्यता पर विचार जरूर करना चाहिये ताकि हमारे देश की संस्कृति हमेशा बनी रहे ।