राजनीति के बीच विकास की खींचा तानी
चुनावी माहौल गर्म होने पर तमाम विपक्षी पार्टियों का महागठबंधन होने लगा है वास्तव मे सच्ची राजनीति की यही अग्निपरीक्छा मानी जायेगी जब एक तरफ वर्तमान सरकार चुनावी समय नजदीक आने पर विकास कार्यों की झड़ी लगा रखी है वहीं विपक्षी पार्टियां एक दूसरे से कंधा मिलाकर आगामी चुनाव को जीतने की कोशिश में लगी है लेकिन यहाँ राजनीति का असर जनता पर प्रत्यक्ष रूप से पड रहा है राजनेता अपनी अपनी कुर्सी हथियाने के लिये तरह तरह के दांव खेल रहे है लेकिन आज डिजिटल जमाने में ये दांव सब फीके पड रहें हैं क्योकि आज की जनता जागरूक हो गयी है राजनीति पहलुओं की पल पल की खबर रखती ताकि कोई भी राजनेता सीधी सादी जनता को बेवकूफ न बना पाये ।
लेकिन वर्तमान सरकार ने देश के विकास के लिये जितने भी कदम उठायें है सभी के सभी कदम देश की जनता के हित के लिये ही हैं और जनता भी पूर्व सरकार के कार्यकाल से सशक्त महसूस कर रही है वर्तमान सरकार का मूल मंत्र “सबका साथ सबका विकास ” अर्थात सबसे पिछडे हुये वर्ग तक भी विकास को पहुचाना है ताकि देश के प्रत्येक नागरिक को सभी वर्ग के बराबर अधिकार प्राप्त हो सके पिछले चार सालों में वर्तमान सरकार ने महिला सुरक्षा, महिला सशक्तीकरण, इत्यादि योजनाओं से देश के समाज को सुरक्षा प्रदान की है तथा देश की अर्थव्यवस्था को मजबुत किया है इतना विकास करने के बावजूद भी विपक्ष वर्तमान सरकार को घेरने की फिराक में है ताकि आगामी लोकसभा चुनाव के जनता का दिल जीता जा सके ।
वहीँ अनेक विपक्षी पार्टियों के सभी प्रमुख नेता अपने आप को प्रधानमंत्री पद के दावेदार बना रहे है प्रधानमंत्री का पद कोई मामूली पद नहीं होता जिसको हर कोई सम्भाल सके इस पद के लिये देश के विकास के सभी क्षेत्रों में योग्यता होनी चाहिये ताकि विशेषज्ञ किसी भी योजना को तैयार करके अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री पर छोड सके ताकि प्रधानमंत्री जनता के हितों को भलीभांति जांच परख कर योजना को अंतिम रूप दे सके और ऐसा होता भी है क्योकि विशेषज्ञ केवल एक सी क्षेत्र पर निर्भर रहता है और एक ही क्षेत्र पर अपनी राय दे सकता है लेकिन प्रधानमंत्री को तो देश के विकास के सभी क्षेत्रों में अनुभव होना जरूरी है ।
यही बात तो कहना चाहता हूँ कि केवल कह देने से कोई प्रधानमंत्री नहीं बन सकता इसके लिये भी अग्निपरीक्छा देनी पडती है ताकि किसी भी समय देश को कठिन से कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाला जा सके और पडोसी देशो से कूटिनीतिक संबंध बनाकर देश का भव्य निर्माण किया जा सके । सभी राजनीतिक पार्टियों में कम से कम 80 प्रतिशत राजनेता अच्छी तरह हिन्दी पढना नहीं जानते तथा अपनी भाषा का इस्तेमाल करना भी नहीँ जानते ये लोग तो सिर्फ अपने जेबे भरना जानते है यदि ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री का पद दे भी दिया जाये तो देश आगे बढने की बजाय पीछे खिसकने लगेगा तथा बाहरी शक्तियों का कब्जा बहुत जल्द हमारे देश में हो जायेगा इसलिये पक्ष हो या विपक्ष सभी को देश के हित के लिये ही ध्यान देना चाहिये न कि किसी सरकार को खत्म करने के लिये । जितना नीति सरकार को गिराने के लिये बनायी जाती है यदि उसी समय उन्हीं नीतियों को देश के विकास के लिये बना दी जाये तो देश बहुत जल्द विकासशील की श्रेणी से विकसित श्रेणी मे पहुँच सकता है ।
हमारा देश तभी निर्माण कर सकता है जब देश के सभी जन एक साथ मिलकर कार्य करेंगे और एक दूसरे की सहायता करेंगे लेकिन यहाँ मुख्यतया राजनीतिक से सीधा संबंध ऐसी बात से है कि सभी राजनेता सिर्फ देश के सार्वजनिक हित के लिये ही नीति तैयार करें न कि अपने व्यक्तिगत हितों के लिये या सरकार को गिराने के लिये । हाँ विपक्ष को सिर्फ समय समय पर सरकार की नीतियों पर अपनी राय भी शामिल कर सकती है ताकि सार्वजनिक हित में बाधा न पहुँच सके तभी हमारा देश पूर्णतया स्वतंत्रत माना जायेगा जहाँ का मुख्य उद्देश्य ” सर्वजन हिताय , सर्वजन सुखाय “इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान मे रखकर ही देश का निर्माण किया जा सकता है ।