कविता

कविता – मेरी प्यारी भाभी

मुश्किल भरे लम्हों में भी जो हमेशा साथ निभाती है।
गलती होने पर भी हल्के से मुस्कुरा के जाती है ।
नादान भले हो पर मुझको प्यार से समझाती है ।
मोहब्बत बिखेरे हम सबको वो बहुत लुभाती है।
फूलों की वादियों सी बनकर घर को अपने महकाती है ।
नणद न समझ कर एक सहेली सा एहसास कराती है ।
वर्षो का हो जैसे उनसे नाता ऐसी इनायत दिलाती जाती है।
ऐसी भाभी को पाकर के खुशनसीबी की बात याद आ जाती है ।

— शालू मिश्रा

शालू मिश्रा नोहर

पुत्री श्री विद्याधर मिश्रा लेखिका/अध्यापिका रा.बा.उ.प्रा.वि. गाँव- सराणा, आहोर (जिला-जालोर) मोबाइल- 9024370954 ईमेल - [email protected]