मुक्तक/दोहा

मुक्तक

भैया दूज की रोली है राखी का धागा है
बेटियों से ही देश का सौभाग्य जागा है
बेटे की चाह में जिसने गर्भ में मार दी बेटी
वो इंसां हो नहीं सकता है वो तो बस अभागा है।

अकेलेपन मे जीवन का सूकून होता है
खुद के लिए कुछ करने का जूनून होता है
ये खून के रिश्ते निभाना सोच समझ कर
कि खून के रिश्तों का भी अब खून होता है

— विक्रम कुमार

विक्रम कुमार

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