कविता

कविता

मेरी पलकों पर एक आंसू
तेरा पता पूछने आया था
जब तेरी खबर न मिली
लौट गया वो भी आंसू बहाकर
जाते जाते एक अर्जी दे गया
मुलाकात हो तुमसे जब कभी
पूछु तुमसे हाल जरा
करने हैं तुमसे सवाल कई
क्या खुश हो अब तुम
फेर कर नजरें यूँ अपनी
बदलकर अपने आपको
दामन मुझसे छुड़ाकर
अपना ही साया देख के तुमको
क्या वजूद मेरा याद आया होगा
जिंदगी के कुछ रंग
नयी उम्मीदों के संग
कुछ कुछ तुमने भी खोया होगा
कुछ तुम्हारी आखों के अश्क
प्रश्न करते होगे
प्रेम की इस इमारत को ढहाकर
सुकून की चादर बिछाकर
चैन की नींद में भी
ख्वाब मेरे आये होगे
यूं करवटे बदलते बदलते
यूँ आंसमा के तारे गिनते गिनते
तुम्हे मेरे आंसू याद आये होगे
मेरी पलकों पर एक आंसू
पता तेरा पूछने आया था

— शोभा रानी गोयल

शोभा गोयल

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