मन को मन्दिर बना लो
राम मन्दिर मन को बना लो
सब फसाद मिट जाएंगे
काम क्रोध मद लोभ
ये विकार छोड़ दो
मन मन्दिर बन जायेगा
आदमी से आदमी जुड़ेगा
प्रीत के धागों से बंध जाएगा
न जाति न धर्म के झगड़े
न मजहबी फसाद होगा
अमन से रहेंगे वतन में सभी
भाईचारे की देश मिसाल होगा
मन्दिर की घण्टी शंखनाद
मस्जिद की अजान गूंजेगी
ॐ का जप होगा राम राम होगा
अल्लाह की गूंज गूंजेगी
कहीं रामायण की चोपाई
कहीं गीता के श्लोक सुनाई देंगे
तो कहीं कुरान की आयतें सुनाई देगी
भारत की कोमी एकता
सारे जहां में पहचान बनेगी
हिन्दू मुस्लिम एकता की
फिर से मिसाल कायम हो
मेरा हिंदुस्तान फिर से
ऐसा बन जाए
गाँधी कलाम के सपने पूरे हो जाये
इंसान से बस इंसान मिल जाए
एक लहू अपना
आजादी की लड़ाई में
हम सब साथ थे
अब क्या बदला जो
हम भाई भाई भिन्न भिन्न है
आओ एकता के तराने गाएं
आओ हम एक हो जाएं
— कवि राजेश पुरोहित
भवानीमंडी