कविता

कविता

लो आ गया नया ज़माना,

स्वच्छ भारत बन गया है एक बहाना ।

क्या भारत की स्वच्छता का इरादा ,

टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा ।

सैलानी हैं आते यहाँ,

दिखती है गंदगी देखें जहाँ ।

क्या वैष्णो देवी की पवित्र पहाड़ियां

लिपटी जो रहतीं हैं, बर्फीली साड़ियां

एवं मनुष्य की अपवित्रता का साथ

दया करो हम पर तो भैरवनाथ ।

इसी गंदगी का करना है अंत

तभी काम करेंगी भक्ति और मेलों में प्रभु या संत

— सहज सभरवाल

सहज सभरवाल

विद्यार्थी जम्मू मो +917780977469 ईमेल [email protected]