कैसे करवानी इज्जत , करनी सिखा देंगे
रख दो वो खड्ग पुरानी, इसमे धार नही
राम पर उठे कोई भी उंगली स्वीकार नही
खूब की इन्होंने हमारे भारत मे मनमर्जी
खाकर के हमारे वतन का चढ़ गई चर्बी
दल्लो ने मानसिकता पर हर वार किया
अपने ही वतन में अपनो का संहार किया
हम पढ़ाते रहे अहिंसा का पाठ बच्चो को
और कातिल पत्थर मारते रहे राष्ट्र भक्तो को
एक कलाम एक थे असफाक बाकी राख
जिन्होंने मिटा दी अपने हिंदुस्तान की शाख
मुल्क का तिरंगा तुम्हारी सलामी चाहता है
पाकिस्तान को कहलाना हरामी चाहता है
यहूदियों पर गर हमने रहम ना किया होता
मुल्क को साम्प्रदायिक जहर ना दिया होता
ईश्वर अल्लाह का पैगाम गली गली सुनाया
बाबजूद इसके, हमारी बेटियों को सुलाया
कुरान पाक है , रामायण में भी इंसाफ है
बस एक चेहरा है जो हर कहीं बेनकाब है
नीति स्पष्ठ कर दो नियत अपनी बता देंगे
कैसे करवानी इज्जत हम करनी सिखा देंगे
संदीप चतुर्वेदी “संघर्ष”