कविता

कोमल बेटियाँ

फूलों सी, कलियों सी कोमल बेटियाँ,
माँ का प्यार, पिता की इज्ज़त बेटियाँ

कुल की शान, अभिमान की पगड़ी बेटियाँ,
घर-परिवार की आन, मान, शान,जान बेटियाँ

सीता, सावित्री, दुर्गा सी होती वीरांगना बेटियाँ,
आज जीत कर ला रहीं पदक, भारत की बेटियाँ

सादगी से बड़ी नहीं कोई सुंदरता, अमल करें बेटियाँ,
भारतीय संस्कारों को न हरगिज़ भूलें कभी हमारी बेटियाँ

बेटों से अच्छी होती हैं हमेशा बेटियाँ,
फूलों सी, कलियों सी कोमल बेटियाँ

– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111