ग़ज़ल
तुझे मुझसे मुहब्बत है कि नहीं
बता मेरी ज़रूरत है कि नहीं?
सदा मिलता रहे तेरा आसरा
ख़ुदा इतनी इनायत है कि नहीं?
करूँ दीदार तेरा हमदम मेरे
मुझे इतनी इजाज़त है कि नहीं?
सताते ही रहो हर पल मुझे तुम
बची तुम में शराफत है कि नहीं?
गुज़ारी जिंदगी यूँ बेकार में
करी रब की इबादत है कि नहीं?
बिना पूछे चुराया दिल आपने
बता दो ये हिमाकत है कि नहीं?
जुबां पर सच हमेशा आता रहे
भला इतनी सी हिम्मत है कि नहीं?
— डाॅ सोनिया