घाटी नर्क बनाकर
घाटी नर्क बनाकर
दिल्ली बैठी पहन चूडियाँ
किन्नर रोना रोती है |
सिंहों के जिस्म कुत्ते नोच-नोच खाते
शौर्य-वीरता के सम्मुख दीवार बना कानून
राजनीति बंदूकों के मुख ताले लगवाती है |
देखो कैसे स्वार्थवश
दिल्ली विषधरों को दूध पिलाती है
मेरे देश के वीर जवानों को डसवाती है |
संसद घिघियाना बंद करे
दुश्मन की छाती पर चढ़ हुंकार भरे
भारत माँ करुण स्वर सुनाती है |
अब नरभक्षी जल्लादों को फूल नहीं गोली दो
जो मांग रहे आजादी उनको आजादी दो
सिंहासन चुप्पी तोडो –
ये चुप्पी ही वीरों को चिथड़े-चिथड़े करवाती है |
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा