कविता

घाटी नर्क बनाकर

घाटी नर्क बनाकर
दिल्ली बैठी पहन चूडियाँ
किन्नर रोना रोती है |

सिंहों के जिस्म कुत्ते नोच-नोच खाते
शौर्य-वीरता के सम्मुख दीवार बना कानून
राजनीति बंदूकों के मुख ताले लगवाती है |

देखो कैसे स्वार्थवश
दिल्ली विषधरों को दूध पिलाती है
मेरे देश के वीर जवानों को डसवाती है |

संसद घिघियाना बंद करे
दुश्मन की छाती पर चढ़ हुंकार भरे
भारत माँ करुण स्वर सुनाती है |

अब नरभक्षी जल्लादों को फूल नहीं गोली दो
जो मांग रहे आजादी उनको आजादी दो
सिंहासन चुप्पी तोडो –
ये चुप्पी ही वीरों को चिथड़े-चिथड़े करवाती है |

– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111