ई-कचरे से सोना और अन्य धातुएं निकालने की नई विधि विकसित
तेजी से बढ़ रहे नए नए इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के साथ ही ई-कचरे के ढेर की समस्या भी बढ़ रही है। ई-कचरे में कीमती और हानिकारक दोनों तरह की सामग्री शामिल होती हैं, इसलिए इनके लिए विशेष पुनर्चक्रण प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है। भारतीय वैज्ञानिकों ने ई-कचरे से बहुमूल्य धातुओं को पुनःप्राप्त करने की एक अद्भुत पर्यावरण-मित्र विधि विकसित की है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मिजोरम, सीएसआईआर-खनिज एवं पदार्थ प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएमएमटी), भुवनेश्वर और एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मोदीनगर के वैज्ञानिकों ने मिलकर ई-कचरे से सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं को निकालने के लिए माइक्रोवेव ऊष्मायन और अम्ल निक्षालन जैसी प्रक्रियाओं को सम्मिलित करके एक अनूठी विधि तैयार की है।
शोध में 20 किलोग्राम ई-कचरे को पहले माइक्रोवेव में गरम करके फिर अम्ल निक्षालन करने के बाद लगभग 3 किलोग्राम धातु उत्पाद प्राप्त हुए थे। इनमें 55.7% तांबा, 11.64%लोहा, 9.98%एल्युमीनियम, 0.19%सीसा, 0.98%निकल, 0.05% सोना और 0.05% चांदी मिलीं थी। संसाधित किए गए 20 किलो ई-कचरे के लिए मात्र 1.58 किलोवाट बिजली की खपत हुई थी।
वैज्ञानिकों ने ई-कचरे के तौर पर पुराने कंप्यूटरों और मोबाइलों के स्क्रैप प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) से निकाली गईं एकीकृत चिप्स (आईसी), पोगो पिन, धातु के तार, एपॉक्सी बेस प्लेटों के अलावा इलेक्ट्रोलाइट कैपेसिटर, बैटरी, छोटे ट्रांसफार्मर और प्लास्टिक जैसी इलेक्ट्रॉनिक सामग्री का उपयोग किया था। इस ई-कचरे को माइक्रोवेव भट्टी में 1450-1600 डिग्री सेंटीग्रेड ताप पर 45 मिनट तक रखा गया था। निक्षालन प्रक्रिया हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और अम्लराज ऐक्वारेजिया से की गई थी।
विकसित विधि मूल रूप से सात चरणों में काम करती है। वैज्ञानिकों ने सबसे पहले माइक्रोवेव ऊर्जा द्वारा ई-कचरे को गर्म करके पिघले हुए प्लास्टिक और धातु के लावा को अलग-अलग किया गया। इसके बाद सामान्य धातुओं का नाइट्रिक अम्ल और कीमती धातुओं का एक्वा रेजिया से निक्षालत किया। फिर सांद्र नाइट्रिक अम्ल द्वारा धातुओं को हटाकर अंत में जमा हुईं धातुओं को धोकर व शुद्ध करके पुनः प्राप्त किया गया।
प्रमुख शोधकर्ता राजेंद्रप्रसाद महापात्रा के अनुसार ई-कचरा रासायनिक या भौतिक गुणों में घरेलू या औद्योगिक कचरों से काफी अलग होता है। सभी जीवों के लिए खतरनाक होने के साथ-साथ ई-कचरे की हैंडलिंग बेहद थकाऊ और चुनौतीपूर्ण कार्य है। आमतौर पर ई-कचरे से कीमती धातुओं को पुनर्प्राप्त करने के लिए या तो मैफल भट्टी अथवा प्लाज्मा विधि को निक्षालन के साथ युग्मित करके उपयोग किया जाता रहा है। हमने इसके लिए माइक्रोवेव ऊर्जा और अम्ल निक्षालन प्रक्रियाओं का उपयोग किया है। शोध में किए गए विभिन्न एक्सआरडी, एफईएसईएम-ईडीएएक्स और टीईएम अध्ययनों से प्राप्त परिणाम सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं को इस विधि से प्राप्त करने की पुष्टि करते हैं।
शोध से जुड़े दो अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों डॉ. सत्य साईं श्रीकांत और डॉ. बिजयानंद मोहंती के अनुसार पारंपरिक विधियों की तुलना में माइक्रोवेव ऊर्जा वाली यह आधुनिक विकसित विधि कम समय, कम बिजली की खपत और अपेक्षाकृत कम तापमान पर ई-कचरे से कीमती धातुओं को पुनर्प्राप्त करने वाली एक पर्यावरण अनुकूल, स्वच्छ और किफायती अभिनव प्रक्रिया साबित हुई है।