शहीदों को श्रद्धांजलि : मौत का मल्हार
सबकी आँखें भीगी-भीगी लगी है, आज मेरे देश में!
लगता है, सरहद पे कहीं लहू बरसा है।
बेवा की बस्ती में भी, जश्न चल रहा है!
लगता है, कोई केसरिया बन के आ रहा है।
बच्चे खिलौने ख़ारिज कर रहे हैं!
लगता है, कोई सुपुर्द-ए-खाक होकर लौट रहा है।
अब वो शमां के आस-पास परवाने नहीं मंडराते!
लगता है, कोई दीपक शहीद हो गया है।
बहुत सजाया जा रहा है उसके जनाजे को आज!
लगता है, किसी ने गोलियों से शृंगार किया है।
बड़े सुकून से सोया है, सबको सुलाने वाला!
‘मयूर’ लगता है, किसी ने मौत का मल्हार गाया है।
©️ मयूर जसवानी