माँ की कलम से
न जाने किसने ये कह दिया कि
अपनेपन में “Thank you”
या “sorry” नही कहा जाता
आज मन किया कि तुम्हें sorry कह दूँ
पर तुम्हें मुझसे ये सुनना पसन्द नही
क्योंकि मैं तुम्हारी माँ हूँ ना
फिर सोचा love you कहूँ पर
जब अपने बीच कुछ ठीक नही हुआ होता है
उस वक़्त तुम्हें ये लफ्ज़ भी बेमानी लगते है
अब तुम ही बताओ कि मैं कैसे जताऊं कि
तुम्हारी बात से, दुख जरूर हुआ है
मगर उससे कई ज्यादा जरूरी तुम हो
उतार चढ़ाव, हार जीत और
गलतफहमियां तो ज़िन्दगी के हिस्से है
ज़िन्दगी के लिए सबसे ज़रूरी तो रिश्तें है..सुमन “रूहानी”