भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को समर्पित कविता
कैसा ये गजब हुआ है
है कानों पर विश्वास नहीं
भारत मां के आंचल का हीरा
अब भारत मां के पास नहीं
महंगे थे वे कोहिनूर से
फिर भी सादे सस्ते थे
पूरा जीवन दे दिया देश को
वे सचमुच एक फरिश्ते थे
कभी पत्रकार बन राह दिखाई
संपादन और समीक्षा की
तो कभी शिक्षक बन अलख जगाई
गरीबों के अंदर शिक्षा की
फिर धन्य हुआ था उच्च सदन
इनके चरणों की माटी से
उस सरल,सहज और कोमल मन से
काव्य की परिपाटी से
फिर आया वह शुभ दिन
कई ऊंचे कीर्तिमान बने
जब महान विभूति अटल बिहारी
देश के प्रधान बने
तब अच्छे शासन की कई मिसालें
बेबाकी से पेश की
रख दी बदल के सूरत सीरत अपने भारत देश की
स्वर्ण उगाने लगी धरा
सुख बरसाते अंबर बने
इनके प्रयासों से ही हम
परमाणु में आत्मनिर्भर बने
युवा जागृति, देश प्रेम
और सद्भाव की अभिलाषा से
वे नित नए संदेशे देते
कविताओं की भाषा से
उनके लिए सब एक थे
कोई ऊंचा कोई नीच नहीं
गला भर रहा यह कहने में
कि वे अब हमारे बीच नहीं
थामे नहीं थमते हैं आंसू
मन का धीरज खो रहा है
भारत मां के इस लाल के लिए
पूरा देश रो रहा है
वे कहते थे कि देश प्रेम
मानव का उत्तम गहना है
उनके लिए आज मुझे
बस इतना सा कहना है
कि देश बनाने में हम सबकी
एक ऐसी भागीदारी हो
हर मुस्लिम बने अब्दुल कलाम
हर हिंदू अटल बिहारी हो
हर मुस्लिम बने अब्दुल कलाम
हर हिंदू अटल बिहारी हो