जन्मदात्री बन !!
मन्नतों के धागे
कच्चे सूत से भले ही बने होते हैं
पर जब तक पूरी न हो फ़रियाद
ये हवा धूप पानी सब सहकर भी
रब की चौखट में हर पल
सज़दे में रहते हैं !
…
इनका बंधे रहना
गठानों का ना खुलना सबूत है
बड़ी ताकतवर है ये आस्था
सम्बल,भरोसा,विश्वास और धैर्य
पिता, भाई, पति और बेटे के
रूप में जन्म से लेकर मृत्यु तक
श्वास की आस बने
मैं इन दायरों के मध्य रहकर
जन्मदात्री बन इनकी
खुशियों उपलब्धियों के बीज बोती
बिना किसी श्रेय के
करुणा, अनुराग, प्रेम और वात्सल्य की
खाद बन इनकी जड़ों को पोषित कर
बूंद-बूंद तिनका-तिनका सवांरते हुए
इस बात से बनकर अंजान
शक्ति को अपनी बस ममता के
सांचे में डाल रहती पल -पल खुशहाल
मन्नतों के धागे सी !!!
— सीमा सिंघल ‘सदा’