घनाक्षरी
भक्ति जो करे तो मीराबाई बन जाये नारी ,
कोप जो करे तो रणचंडी बन जाती है ।
तोड़ती मिथक सारे नारी शक्ति नित्यप्रति,
कल्पना बने तो अंतरिक्ष तक जाती है ।
नारी है तो सृष्टि है,ये जग की अमरता है,
पीढ़ी दर पीढ़ी यह सृष्टि को चलाती है।
भगिनी है, बिटिया है,प्रेयसी है,वामा है ये,
जन्म देती,पालती है, माँ कहलाती है ।
——-© डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी, ८/३/२०१९,प्रयागराज