कविता

जिन्दगी और मौत

जिन्दगी और मौत,
अठन्नी के हेड और टेल है ।
 चली जब तक चली ,
 रूकी जिन्दगी फेल है ।।
न मकसद्, न मंजिल,
क्यूं ही फिरते है हम ।
हेड को लिए संग में ,
टेल की खातिर फिरते है हम ।।
जिंदगी कभी चालू दुकान ,
तो कभी ओपन सेल है ।
चली जब तक चली ,
 रूकी जिन्दगी फेल है ।।
 टेल मैं नही चाहता,
 वे ही आप नही चाहते ।
जिंदगी बदलती है पर,
टेल के खेल फेल नही जाते ।।
जिन्दगी और मौत अन्ततः ,
सच में खुशियों की रेल है ।
चली जब तक चली ,
 रूकी जिन्दगी फेल है ।।
रोते रोते हंस लेना भी,
जीवन एक दो नाम है
जागरण ही है दिवाकर,
सोये वो ही वक्त शाम है ।।
जीवन के तो इससे भी कई ,
न्यारे – न्यारे खेल है ।
चली जब तक चली ,
 रूकी जिन्दगी फेल है ।।
मुकेश बोहरा अमन

मुकेश बोहरा 'अमन'

पिता का नाम - स्व. श्री पारसमल बोहरा (जैन) माता का नाम - स्व. श्रीमती शान्ति देवी धर्मपत्नि - श्रीमती शान्ति बोहरा ‘शान्त’ अनुज भ्राता - श्री राहुल बोहरा ‘अमन’ संतान - 1. कार्तिक बोहरा 2. कु. संध्या बोहरा जन्म तिथि - 20.07.1984 शैक्षणिक योग्यता - अधि-स्नातक (हिन्दी), बी.एड. व्यवसाय:- शिक्षण कार्य, राजकीय सेवा में अध्यापक, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, सांसियों का तला, बाड़मेर राजस्थान भारत प्रकाशित कृतियां - 1. महिला सशक्तिकरण को लेकर कालजयी कृति ‘‘हिम्मत है तो वार करो’’ 2. ओरण-गोचर संरक्षण को लेकर पुस्तक ‘‘ओरण हमारी धरोहर’’ 3. बाल साहित्य में ‘‘भगवान हमारे दादाजी’’ रूचियां:- काव्य लेखन, गद्य लेखन, स्वतंत्र पत्रकारिता, समाज-सेवा, किताबें पढ़ना आदि । स्थायी पता - अमन भवन, महावीर सर्किल, जूना केराडू मार्ग, बाड़मेर राजस्थान भारत 344001 मोबाईल नम्बर:- 8104123345, फेसबुक - कवि मुकेश अमन Email - [email protected]