कविता

भ्रष्टाचार पर प्रहार

कह दो कह दो लोभी, जल्लादो, मक्कारों से ,
कह दो कह दो इन क्षेत्रहित के ठेकेदारो से,
कह दो कह दो सारे विकास वादी झूठे नारों से ,
कह दो कह दो चोर चक्कारों जनहित के पहरेदारों से,
ग्रह,नक्षत्र अब युवाओं के अनुकूल दिखाई देते है,
नष्ट,भ्रष्ट नेताओं के पेट में अब शूल दिखाई देते है ॥
कीचड में अब मुरझाया सा कमल  फूल दिखाई देते हैं,
हाथ की बात करे उसके साथ कोई नहीं दिखाई देते है॥
राजा प्रताप की नगरी तो स्वर्ग सी थाती थी,
गुमानी के मधुर स्वरों में खुशियाँ  गाती थी ॥
सुरगंगतटी,धनकोषभरी रसखानमही थी,
इसकी अमर महिमा पुराणों ने भी तो कहीं थी ॥
किसी को दिल्ली,दून में दोष देते दिखाई देते है
गढवाली छोडो, अंग्रेजी ज्ञान सिखा ही देते है ।
बोली, भाषा भूल चुके हम फैशन की राहों में,
उन्मादी बल आ गया अब युवाओं  के बाहों में ॥
घोटालें रोज हुऎ  पुल, डिग्गी, चकडैम, नहरों में
चुनाव समर इस साल आओ नये नये चहरों में ।
सदा ही राजधर्म भी छोडा तुमने यहाँ खुद्दारी में ,
अरे जयचन्द को पीछे छोड डाला तुमने गद्दारी में ॥
— रामचन्द्र ममगाँई पंकज
देवभूमि हरिद्वार

रामचन्द्र ममगाँई पंकज

नाम- रामचंद्र ममगाँई । साहित्यिक नाम-पंकज । जन्मतिथि- 15 मई 1996 पिता का नाम- श्री हंसराम ममगाँई। माता का नाम- श्रीमति विमला देवी। जन्म स्थान-घनसाली टिहरी गढवाल उत्तराखंड। अस्थायी पता - देवपुरा चौक हरिद्वार उत्तराखण्ड। स्थाई पता- ग्राम मोल्ठा पट्टी ढुंगमन्दार घनसाली जिला टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड पिन को- 249181 मो.न. 9997917966 ईमेल- [email protected] शिक्षा- शास्त्री और शिक्षाशास्त्री रचना साझा संकलन 1 अनकहे एहसास 2. एहसास प्यार का विशेष - चित् तरंगिणी त्रैमासिक पत्रिका का मुख्यसम्पादक । हिन्दी व संस्कृत के विभिन्न विषयों पर लेख व कविता अनेक पत्रिकाओं व अखबार में प्रकाशित ॥