मुक्तक/दोहा मुक्तक विक्रम कुमार 13/03/2019 सुना दो मुझे दिल का वो पैगाम जो भी हो नहीं है गम मुझे अब चाहे नीलाम जो भी हो मैं अपने दिल पे रखकर हाथ कहता हूं तुमसे आज तुम्हे अपना बनाना है अंजाम जो भी हो विक्रम कुमार