लघुकथा

लघुकथा : साया

करवटें बदलते-बदलते आधी रात गुजर गई। लगता था जैसे निंद्रा रानी रूठ कर घर की देहलीज पर बैठ गई हो। उमस भरे मौसम में पसीने से लथपथ बदन को सुखाने के लिए, पंखा झलते-झलते हाथ दुःख गए। दिन भर काम से थका मांदा हुआ एक आम आदमी कितना झेलता है। छोटे शहरों में इंसान का क्या बुरा हाल है, महानगर के लोगों और वातानुकूलित घरों में रहने वाले प्राणियों को क्या पता शरीर से रिसते स्वेद का स्वाद कैसा होता है।
“उफ़! यह गर्मी आज बेजान कर के ही मानेगी ” बेहाल रामबाबू खीज उठे।
अचानक तेज़ आवाज़ के साथ बिजली कड़की, और कुछ पल के लिए कमरे में रोशनी फैलकर गुम हो गई।
” चलों अच्छा है, मेघा थोड़ा राहत ही बरसा दे, कुछ ठंडक तो मिलगी “
” हाँ, ठीक कह रहे हो लल्लन “
“अयें, यह कौन बोला? कौन है कमरे में? ” रामबाबू इधर-उधर देखकर चीख उठे। एक धुंधला साया कुर्सी पर बैठा नज़र आया।
” हा हा हा… नहीं पहचाना लल्लन?”  साया बोला।
” देखो! मेरा नाम लल्लन नहीं … रामबाबू है “
” जानता हूँ, लेकिन हमारे ज़माने में बच्चों को लल्लन…कल्लन जैसे ही नामों से पुकारते थे… कहानियां तो पढ़ी होंगी तुमने? “
” अ आ…प! मुंशी जी! कहानियों के पि…पि…पितामह!” विस्मय से वह कह उठे।
” ठीक कहा तुमने, सोचा आज के कहानीकार से मिलकर ज़माने का हाल ले आऊँ “
” आज भी महंगाई की मार से त्रस्त है, सब्जियाँ भी पहुँच से दूर हो गई है, चटनी भी पैसे से आती है पितामह! “
” पर लल्लन, हमारे ज़माने में तो सब्जी वाला फ़ोकट में ही धनियाँ मिर्ची दे देता था…ढेर सारी “
कुछ देर चुप्पी के बाद मुंशी जी बोले, ” कैसा है मेरा बुधिया? “
” पितामह! क्या बताऊँ… आम आदमी है आपका असली बुधिया, आज भी अभावग्रस्त, तंगहाल “
” कमाल है, युग बदल गया… पर वो नही बदला?”
” नही, नही पितामह! ऐसा नहीं है। अब उसके अलग अलग रूप और नाम हो गए है, वंशवृद्धि भी हो गई है न “
” पहेलियाँ न बुझाओ लल्लन! तनिक खुलकर बताओ ” चिंतामग्न होकर उन्होंने कहा।
” आप तो युग पुरुष है पितामह, आपसे क्या छुपा है “
” नही लल्लन, मैं तो अपने युग का दास था, तभी तो ज़मीन से जुड़ा रहा “
” आजकल के उन्नत बुधिया… पितामह! बलात्कार, पियक्कड़, नशेड़ी, रेव पार्टी, जेहादी और आतंकी हो गए है। कभी निर्भया जैसा काण्ड करते है तो कभी हाइवे पर रेप करते है।… कुछ घूसखोर और कुछ राजनेता बन गए है “
कुछ देर हताशा के बाद रामबाबू फिर बोले, ” आप इस युग में एक बार बापस आ जाइये “
” नही वत्स! मेरी कलम काँप जायेगी।  ” कहकर अंतर्ध्यान हो गए अपनी नम आँखों साथ मुंशी जी।
रतन राठौड़, जयपुर

रतन राठौड़

नाम : (रतन कुमार सिंह) स्थान: जयपुर जन्मतिथि: 14नवम्बर1963 योग्यता : विज्ञान स्नातक व्यवसाय: राजस्थान सरकार में सहायक लेखाधिकारी के पद पर जयपुर में कार्यरत। वर्ष 1978 से लेखन कार्य शुरू किया एवं पहली कहानी "पत्र में तूफान" प्रसारित हुई। वर्ष 1992 तक आकाशवाणी,जयपुर के "युववाणी" कार्यक्रम से जुड़कर अनेक कहानियाँ "परोपकारी बाबा जी", "उपहार" आदि तथा कविताये प्रसारित। आकाशवाणी के कार्यक्रम नव-तरँग एवं अनेक संगोष्ठी तथा परिचर्चाओं का संचालन किया एवं भाग लिया। वर्ष 2016 में FM आकशवाणी जयपुर से नाटक प्रसारित हुआ। वर्ष 1992 से जयपुर रंगमंच से जुड़ा हुआ अनेक नाटकों में भाग लिया। नाट्य लेखन, निर्देशन और मंचन किया। राष्ट्रीय स्तर पर नागपुर(महाराष्ट्र), लखनऊ(उत्तर प्रदेश) आदि स्थानों पर मंचित नाटकों में भाग लिया। अनेक टीवी सीरियल्स, टीवी विज्ञापन और क्षेत्रीय एवं हिंदी फ़िल्मों में काम किया है जो सोनी(क्राईम पेट्रोल), ई टीवी राजस्थान(दास्ताने जुर्म), डी डी राजस्थान(ब्याव रो लाडू, कुँम कुँम रा पगलिया) व अन्य धारावाहिक आला-उदल, नानी बाई रो मायरो, प्रथा आदि के अलावा 'ओ रब्बा अब क्या होगा' , 'ममता' राजस्थानी फ़िल्म में काम कर चुके है। हिंदी चिल्ड्रन फ़िल्म "देख इंडियन सर्कस" वर्ष 2012 की बेस्ट इंडियन चिल्ड्रन फ़िल्म का अवार्ड भारत सरकार से मिला, कुल चार अवार्ड भारतीय और चार इण्टर नेशनल अवार्ड इस फ़िल्म को प्राप्त हुए है। अनेक लघुकथाओं एवं कविताओं, गीतों आदि को सोशल मीडिया पर श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में सम्मानित किया गया एवं अनेक राष्ट्रिय समाचार पत्रों में लघु कथाएं/रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है। प्रकाशित पुस्तकें :- (वर्ष 2017) साझा लघुकथा संग्रह "अपने अपने क्षितिज" ; साझा काव्य संग्रह "काव्य सुरभि" (वर्ष 2018) लघुकथा संग्रह "सहमे से कदम" ; काव्य संग्रह "भाव मनोभाव" प्राप्त सम्मान :- "दृश्य-भारती" सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था, जयपुर द्वारा अभिनय के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। "वनिका पुब्लिकेशन्स" द्वारा उत्कृष्ट लेखन के लिए "लघुकथा लहरी सम्मान"; "मुंशी प्रेम चंद कथाकार 2016" सम्मान, "साहित्य साधक सम्मान 2017", "डॉ. महाराज कृष्ण जैन सम्मान 2018" माननीय श्री गंगाप्रसाद जी, राज्यपाल, शिलांग(मेघालय) द्वारा प्रदान किया गया। अंतरराष्ट्रीय बोल हरियाणा चैनल पर प्रसारित लघुकथाएं:- 1. निदान 2. कॉकटेल एफ.एम आकाशवाणी, जयपुर से कहानी "रिश्तों की सुगंध" प्रसारित पता:- 1/1313, मालवीय नगर, जयपुर-302017 मोबाइल:- 9887098115 Email: [email protected]