वीर माया का बलिदान
भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में जिस राज्य का महत्व पूर्ण योगदान रहा है वो गुजरात राज्य के पाटन याने की राजा सिढ्धराज जयसिंह का राज्य की पौराणिक कथा की जानकारी देना चाहते हैं,
राजा सिद्ध राज जयसिंह पाटन की प्रजा के लिए सहट्रलिंग तालाब का निर्माण कर रहे थे, उस समय जसमा ओडन अपने बच्चे को वृक्ष की डाली पर जुला बाँध कर उसे सुलाकर अपने पति के साथ खोद कर निकाला गया मिट्टी भरा हुआ बर्तन उठाती है उस समय राजा यकायक वहा आ पहुचे और सुंदर जसमा ओडन को देखकर उसके मोह में पागल बन गया, वो जसमा को अपनी रानी बनाना चाहते थे, राजा ने जसमा को छूने के लिए प्रयास किया तो सिंह की तरह गर्जना की और राजा को वही रुक जाने को कहा, राजा को रोक लिया और बताया कि खबरदार, मुजे छूने की कोशिश की तो, राजा जोरो से हसने लगा और जसमा को बोला कि तुम ये मिट्टी के बर्तन को छोड़ दो, तेरे शिर में ये शोभा नहीं देता, तुम तो मेरे राज महल में अच्छी लगेगी एसा राजा ने कहा तब जसमा जवाब देती है कि, राजा तुम्हारी जिह्वा को लगाम दो, हम गरीब के लिए झोपड़ी ही खूबसूरत है, राज महल नहीं, फिर भी राजा जसमा को छेड़ता है तब जसमा आग बबूलने लगी और राजा को फट कहा, और राजा को बोला कि मैंने तेरा क्या गुनाह किया है? की तुमने मेरे जीवन में दाग लगाया, राजा ने जसमा के पति को सैनिक के हाथो मरवा देता है, इसलिए जसमा भी राजा के वश में न होते अपनी पास जो कटारी थी वो निकालकर अपने पेट में मार दिया, उसने मरते समय राजा को श्राप दिया कि तालाब में पानी सुक जाएगा, तेरे राज्य में प्रजा बिना पानी तरस से मर जायेगी.
तालाब में पानी सुक गया और प्रजा के लिए पीने के लिए भी पानी नहीं था इसलिए राजा ने रूषि ओ को बुलाया और कहा कि उसका हल सोचिए, रूषि ओ ने कहा कि, बट्रिस लक्षण के इंसान का यदि बलिदान दिया जाय तो सरोवर में पानी आ सकता है, राजा ने बट्रिस लक्षण के इंसान की खोज शुरू कर दिया, वो जानकारी वीर माया को हुई, उसने अपनी माँ से पूछा कि माँ तुम्हें पता है कि पाटन का प्रभु रूठा हुआ है, यदि कोई बट्रिस लक्षण के पुरुष का भोग लगाया जाय तो सरोवर में पानी आ सकता है, वीर माया अपनी माँ को कहता है कि, तुम बोल रही थी कि मे बट्रिस लक्षण का हू, भेखधारी हू, माँ तुम मुजे आशीर्वाद दो, बिदाई दो, माया उसकी पत्नी को भी कहता है कि मुजे बीदाय दे दो, पिताजी को कहता है कि, पाटन को मेरी आहुति दे दो, उसके पिताजी ने कहा कि, बेटा, हम अछूत है, अपना बलिदान कौन लेगा?
राजा को जानकारी मिली कि, बनकर मुहल्ले में एक बट्रिस लक्षण का वीर पुरुष हे, राजा ने तुरंत ही अपने सैनिक भेजे, वीर माया को राजमहल में बुलाकर लाने के लिए, माया राज महल में उपस्थित होने से राजा को खुशी हुई, राजा ने पंडितों को पूछा कि बट्रिस लक्षण किसे कहते हैं?
पंडित राजा जी को बताते हैं कि, जिसकी,सुमधुर वाणी हो, सुवर्तन हो, परोपकारी हो, परगजू हो, ह्समुख हो, मुहमे शिव का नाम हो, सुबह मे जल्दी उठे, स्नान करे, सोने से पहले भजन गाए, मन वचन, कर्म, कल्याणकारी हो, चमकीला चेहरा हो, सुडढ़ देह हो, चमकते नयन हो, दमकटे कान हो, तेजस्वी ललाट हो, गोरा हो, सुगंधित देह हो, उसे बट्रिस लक्षण वाला पुरुष कहा जाता है,
पंडित वीर माया को बलिदान देने के लिए बताते हैं, उस समय राजा वीर माया को पूछताछ करता है कि माया तुम्हें क्या चाहिए? माया ने कहा कि मुजे राज पाट कुछ नहीं चाहिए लेकिन मेरी दलित जाती के लोग के गले में कोडिया मिट्टी का बर्तन निकाल दिया जाय, पीछे बांधा हुआ झाडू हटा दिया जाय, हमे गांव के बीच बसने को मिले, पूजा करने के लिए तुलसी, पिंपल दिया जाय, पहनने के लिए अच्छे लुगड़े दिया जाय, ये सभी मांग राजा जी ने शिव की साक्षी के साथ स्वीकार कर लिया, ऎसे सुलक्षण नर की भव्य कुर्बानी से सरोवर में पानी उभर आया, वीर माया का जय जयकार हुआ,
वीर माया के बलिदान से जसमा ओडन ने दिया गया श्राप का निवारण होने से सहट्रलिंग सरोवर में मीठा पानी उभर आया, पाटन की प्रजा और राजा धनयता अनुभव करने लगे, इतने बरशो बाद भीपाटनऔर गुजरात के लोग एक दलित वीर माया के बलिदान कोअभी भी भूले नहीं हैं, ऎसे वीर माया को कोटि कोटि वंदन…….
— डॉ गुलाब चंद पटेल