सुनील गज्जाणी को विद्यावाचस्पति (डॉक्टरेट) मानद की उपाधि !
बीकानेर के कवि ,नाटककार ,लघुकथाकार सुनील गज्जाणी को विद्यावाचस्पति (डॉक्टरेट) की मानद उपाधि विक्रमशिला विद्यापीठ ,भागलपुर द्वारा प्रदान की गयी !
गध्य-पध्य के रचनाकार सुनील गज्जाणी को विद्यावाचस्पति की मानद उपाधि उनके अब तक गध्य-पद्य में लेखनकर्म का मूल्यांकन करते हुए प्रदान विद्यापीठ के कुलसचिव डॉक्टर श्री देवेंद्रनाथ साह ने कहा कि हमारी विद्यापीठ माँ सरस्वती के साधकों का उनकी लेखनी का प्रासंगिकता से मूल्यांकन करते हुए उनके लेखन को अपना महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करने का प्रयास करती है और इसी के अंतर्गत विद्यापीठ ने सुनील गज्जाणी का चयन नाट्यकर्म के लिए किया है !
कुलाधिपति डॉक्टर श्री सुमन भाई मानव सुमन ने प्रसंशा करते हुए कहा की सुनील गज्जाणी अपने लेखनकर्म से निरंतर माँ सरस्वती की सेवा करे रहे है अपने क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे है उनकी ये निष्ठा ही उन्हें निरंतर साहित्य में अग्रसर रखेगी और शिखर की ओर प्रोत्साहित करती रहेगी और ऐसी हम कामना करते है !
तथा इस पावन अवसर पर विध्यापीठ के डॉक्टर तेजनारायण कुशवाह ने कहा की सुनील गज्जाणी का इस मानद उपाधि के लिए चयन होना हमारे लिए भी गौरवमय है की वे ना केवल गध्य-पद्य में लेखन करते है बल्कि हिंदी के साथसाथ अपनी मातृ भाषा में भी निरंतर कार्य करते हुए माँ सरस्वती की सेवा कर रहे है जो बेहद प्रशंसनीय है और प्रेरक भी !
गौरतलब रहे की सुनील गज्जाणी जहाँ देश की हर बड़ी पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं को स्थान मिलता रहता है वही भिन्न-भिन्न प्रतियोगिताओं के अंतर्गत कविता , लघुकथा , कहानी , नाटक प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय ,राज्य स्तर पुरस्कृत होते रहे है तथा देश की अनेक संस्थाओं द्धारा समय-समय पर भिन्न-भिन्न मानद उपाधियों से सम्मानित भी किया जाता रहा है ! अब तक तीन पुस्तकों के रचयिता सुनील गज्जाणी की तीनो ही पुस्तके पुरस्कृत हो चुकी है ” ओस री बूंदां ” ( राजस्थानी काव्य संग्रह ) को मूल चंद प्राणेश पुरस्कार , ” बोई काट्या हे ” ( राजस्थानी बाल नाटक ) को चन्दर सिंह बिरकाळी पुरस्कार , किनारे से परे व अन्य नाटक ” ( नाट्य संग्रह ) को कादंबरी पुरस्कार जो उनकी लेखनी को सशक्त करता है और बीकानेर साहित्य को समृद्ध ,जो बेहद अनुशंषा योग्य है !
गज्जाणी की रचनाओं का जहाँ भारत की भिन्न-भिन्न भाषाओँ में अनुवाद होता रहा है जो बीकानेर साहित्य जगत के लिए गौरव की बात है और विद्यावाचस्पति उपाधि प्राप्त होना बीकानेर के रंगजगत और साहित्य का समृद्ध होना है !