अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
प्रकृति ने दुनिया बनाने के लिये सिर्फ दो वर्गों का चुना महिला और पुरूष , ये दोनो वर्ग दुनिया को अग्रसारित करने के लिये बहुत ही उपयोगी है प्रकृति ने इन दोनो वर्गों को एक दूसरे के समान अधिकार दिये जिन अधिकारों के प्राप्त होने से आज दुनिया इतनी ऊंची उड़ान भर रही है इन दोनों वर्गों में संतुलन रखना बहुत ही संयम बरतने सा काम है थोडा सा असंतुलन होने पर दोनों वर्गों का व्यवहार बदलने लगता है तथा समाज परिवार में कुछ जहरीला सी सोच उत्पन्न होने लगती है जो आगे आने वाली पीढी के लिये बहुत ही खतरनाक साबित होती है इसलिये हमें अपने समाज तथा परिवार को जीवित रखने के लिये महिला तथा पुरूष इन दोनों वर्गों को हमेशा एक दूसरे में समानता का व्यवहार कायम करना होगा जिसके प्रभाव से हमेशा के लिये परिवार तथा समाज स्थायी रूप से मजबूत होने लगेगे ।
लेकिन दुनिया मे आज की स्थिति बहुत ही असमंजस भरी है जहां एक तरफ महिला को पूर्ण अधिकार प्राप्त नहीं है वहीं दूसरी तरफ पुरूष अपने पूर्ण अधिकारों से भरा हुआ है इसलिये हमारा समाज इन दोनो वर्गों को समान लाने के लिये हमेशा संघर्ष करता रहता है जिसके कारण हमारा समाज आगे बढने में असमर्थता भरी थकान महसूस करने लगता है यदि प्रत्येक समाज मे महिला तथा पुरूष को समानता का अधिकार प्राप्त हो जाये हमारा समाज अपने आप अग्रसर होने लगेगा और वह देश अपने विकास में सबसे आगे की श्रेणी में होगा ।
अगर आज की स्थिति में भारत देश की बात करे तो जिस तरह की गरीबी तथा बेरोजगारी व्याप्त है इसका मुख्य कारण देश के प्रत्येक समाज तथा परिवार में दोनो वर्गों में असमानता का व्यवहार पूर्णतया जिम्मेदार है क्योंकि हमारे देश मे जहाँ एक ओर महिलाओं को घर की चहारदीवारी के भीतर का अधिकार दिया गया है वहीं पुरषो को घर से बाहर काम करने का अधिकार दिया गया इसलिये महिला तथा पुरूष अपनी अपनी सीमा की दीवार से बंध जाते हैं और एक दूसरे की कमजोरी पहचानने में असमर्थ हो जाते है जिसके कारण ये दोनों वर्ग काम करने की अपनी इच्छा को दबा देते है जिसके कारण इन दोनों वर्गों में मानसिक तथा व्यवहारिक तनाव उत्पन्न होने लगता है और धीरे धीरे उसी परिवार तथा समाज में यही मानसिक तनाव एक कैंसर का रूप ले लेता है जो सारे समाज तथा परिवार को खोखला कर देता है और अंत में वही परिवार अपना अस्तित्व हमेशा के लिये खो देता है ।
हमारे देश में महिलाओं की स्थिति अभी तक अत्यधिक नाजुक सी बनी हुई है पिछली सरकारों के प्रयासों के बावजूद भी महिलाओं को पूर्ण अधिकार नहीं प्राप्त हो पाया है एक ओर जहां महिलाओं को पुरूषों के समान मुख्य धारा में लाने के लिये सरकार ने जो आरक्षण प्रदान किया है उस आरक्षण से कुछ महिलायें सशक्त तो हुई हैं लेकिन कुछ महिलाओं को इस आरक्षण से अधिकारों को खोती जाती हैं क्योंकि जो महिलायें आरक्षण का लाभ ले रहीं हैं उनके पास इस आरक्षण की नीति की पूर्ण जानकारी नहीं है इसलिये यही आरक्षण एक तरफ महिलाओं को अपने खोये अधिकार प्रदान करता है वहीं दूसरी तरफ महिलायें प्राप्त अधिकारों को इस आरक्षण के प्रभाव से खोती जा रहीं है और सरकार भी क्या करे वो तो महिलाओं को सशक्त जो कर रही है । हमारे देश की संस्कृति में महिलाओं को देवी के अवतार के रूप में देखा जाता है और इसीलिये महिलाओं को देवी के रूप में पूजा भी जाता है जिन परिवारों तथा समाज में महिलाओं की पूजा होती है वह परिवार तथा समाज स्वर्ग के समान होता है तभी तो हमारे देश को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश कहा गया है – “सारे जहाँ से अच्छा , हिन्दोस्तां हमारा “।