चतुष्पदी (मुक्तक)
बहुत याद आओगे तुम प्यारे गुलशन।
बहारों की बगिया खुश्बुओं के मधुबन।
कभी भूल मत जाना प्यारी सी चितवन।
माफ करना ख़ता तुम हो न्यारे उपवन।।-1
याद आएगी कल प्यारी पनघट सखी।
खुश्बुओं से महकता ये गुलशन सखी।
मेरी यादों के चितवन में छाएगी सखी।
माफ़ करना ख़ता मन न अनबन सखी।।-2
— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी