कविता

भारतीय नववर्ष वि.सं. २०७६ की शुभकामनाये-

राम लला करिदेव दया भंडार भरौ जग की महरानी।
देशु बढ़ै हर ओर विकास देखाय किसानन केरि किसानी।।
राजु चलै कानूनै का कोउ लोफर अब न करै मनमानी।
जन जन के मन हर्ष भरा नववर्ष मनाय रहे सब प्रानी।

नव सम्वत में आप सभी का नीरज करते वन्दन है।
अपने भारत की माटी का कण कण पावन चन्दन है।
नव सम्वत में आज मिले हो ह्रदय पटल प्रमुदित मेरा,
अनजाने जाने मित्रो का बार बार अभिनन्दन है

आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी प्रधान सम्पादक काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका खमरिया पण्डित लखीमपुर खीरी उ0प्र0 पिन कोड--262722 मो0~9919256950