कब आओगे तुम
कब आओगे तुम
महफ़िल में बात हो रही है मोहब्बत की,
मेरे ज़हन में तुम आ गए हो ।
मोहब्ब्त की गर्म चर्चा में तुम ही तुम हो ,
बनके अश्रु आंखों में आये हो ।
आँसू बन तुम सबके सामने आते बाहर ,
मैं उनको छुपाए चली आई ।
मैं आ गई वहाँ पर जहाँ पर,
हुई मुलाकात हमारी अंतिम ।
वो कमरा बिल्कुल नहीं बदला मैंने,
वैसा ही है जैसा तुम छोड़ गए थे ।
आज भी तुम्हारी खुशबू महसूस करती हूं,
इस बन्द कमरे में मैं हमेशा ।
तुम्हारी बाहों में खुद को महफूज़ ,
समझती थी मैं , लेकिन …….
तुमसे हुई मोहब्ब्त बेपनाह मुझे,
तेरे साथ होने का अहसास दिलाती है ।
तेरी याद, तेरी बातों को याद करती हूं,
इनसे ही तुझे पास अपने पाती हूँ।
दूर मंदिर के दीये जैसे ही ,
उम्मीद का दीया जलता है मन में।
साथ जीना मरना था हमको ,
तुम बीच राह में छोड़ गए ।
जाओ इस जन्म में तुम,
धरती माँ का कर्ज चुकाओ ।
वादा करो तुम अगला जन्म ,
मेरे साथ ही रहोगे तुम ।
तुम्हारी मोहब्बतके सहारे,
ये जीवन जी लुंगी मैं ।
आंखों में जो आएंगे आंसू,
तेरी याद में तब……चुपके से पोंछ लुंगी ।
मेरी मोहब्ब्त को मैं ,
कमजोर नही होने दूँगी ।
तुम्हारे आने का इंतजार करूंगी,
अंतिम सांस तेरी बाहों में लुंगी ।
सारिका औदिच्य