लल्ला जी का स्कूल
लल्ला जी स्कूल में पहुंचे लिए हाथ में तख्ती
एंटर किये क्लास में दिखलाई टीचर ने सख्ती
लल्ला जी हो गए थे क्लास पहुँचने में कुछ लेट
यही शुकर भगवान का खुला हुआ था तब तक गेट
टीचर जी से जा कर के सीधे ही किया प्रणाम
माताजी बीमार हैं अब तक आया न आराम।
मैं कर रहा था रहकर घर में जम कर उनकी सेवा
इसी लिए मैं लेट हूँ उनकी भली करेंगे देवा।
इतना सुनते ही टीचर जी बुरी तरह गुर्राए
भरी क्लास में लल्ला जी को प्रेम के वचन सुनाए।
झूट बोलते समय तुम्हें न आई तनिक भी लाज
मंदिर से निकला तेरी मां मिलीं थी मुझको आज
लिए हाथ में थाल तुम्हारे लिए ही पूछा लल्ला
पूछ रहीं थीं ठीक हुआ कुछ या है अभी निठल्ला
पूछा कैसी चले पढ़ाई हो जाएगा पास
या फिर हो कर फेल करेगा अपना सत्यानाश
झूट के खुलते ही लल्ला जी गए हेकड़ी भूल
लगा घूमने आंखों के सम्मुख टीचर का रूल।
नहीं करूंगा आगे से ऐसा कुछ लिया तुरत व्रत
समझ आ गया है टीचर जी मुझको जीवन का सत
— डॉ माधवी कुलश्रेष्ठ
आदरणीय डॉ माधवी जी, सादर प्रणाम. विद्यालय जाने वाले विद्यार्थियों की प्रतिनिधि कविता जिसके मासूम प्रतिनिधि हैं लल्ला जिन्होंने चला दिया है बल्ला, पर सीमा पर हो गए कैच. छक्का मारने चले थे खुद के ही छक्के छूटे. गुदगुदाती सरल रचना के लिए हार्दिक बधाई.